भीषण गर्मी में ठंडी राहत: पवित्र गोमती नदी में डुबकी लगाकर द्वारका लौटे श्रद्धालुओं ने पाया सुकून, घाट पर उमड़ा जनसैलाब
द्वारका गोमती घाट पर गर्मी में राहत लेते लोग
गर्मी का प्रकोप इन दिनों पूरे गुजरात में तेज़ी से बढ़ रहा है। तापमान 45 डिग्री के करीब पहुँच चुका है और आम जनजीवन प्रभावित हो चुका है। ऐसे समय में अगर कहीं से ठंडी राहत की अनुभूति हो रही है तो वह है द्वारका का गोमती घाट। मंगलवार को सुबह से ही पवित्र गोमती नदी के घाट पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली – सभी लोग गर्मी से राहत पाने और इस पावन स्थान में स्नान करने पहुँचे।
गोमती नदी – केवल नदी नहीं, श्रद्धा की प्रतीक:
गोमती नदी को द्वारका में देवी स्वरूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि गोमती में स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है। यही वजह है कि यहाँ पर न केवल स्थानीय लोग बल्कि देशभर से आए श्रद्धालु भी डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं।
गर्मी में मिली ठंडी राहत:
गोमती घाट पर सुबह से ही माहौल उत्सव जैसा बन गया था। बच्चे पानी में मस्ती कर रहे थे, महिलाएं आपस में बातों में मग्न थीं और पुरुष पानी में तैरते हुए गर्मी को मात दे रहे थे। कई लोगों ने घाट की सीढ़ियों पर बैठकर शांत जलधारा में डुबकी ली और पूजा अर्चना की।
परिवारों की गोमती यात्रा:
अनेक परिवारों ने इस यात्रा को पिकनिक का रूप दे दिया। खाने-पीने का सामान साथ लाया गया, बच्चों के खिलौने और तैरने के लिए ट्यूब्स भी दिखाई दिए। श्रद्धालुओं ने गोमती माता की जयकारों के साथ स्नान किया और फोटो खींचकर इस स्मृति को कैमरे में कैद कर लिया।
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया:
स्थानीय निवासी अर्जुन भाई ने बताया, “गोमती घाट हर साल मई में लोगों के लिए शांति और ठंडक का केंद्र बनता है। यहां आने से आत्मा को भी शांति मिलती है।” वहीं वापसी कर रही महिला यात्री भावना बहन ने कहा, “द्वारका से लौटते समय गोमती घाट पर स्नान करके ऐसा लगा जैसे पूरे शरीर और मन को शुद्ध कर दिया हो। अब घर लौटने पर भी यह अनुभव हमेशा याद रहेगा।”
प्रशासन की व्यवस्था और सुरक्षा:
बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे। घाट पर पुलिसकर्मियों की तैनाती, गोताखोरों की उपस्थिति और चेतावनी बोर्ड लगाए गए थे ताकि कोई अनहोनी न हो।
धार्मिकता और शांति का संगम:
गोमती घाट न केवल गर्मी से राहत देने वाली जगह है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। यहाँ की शांति, बहती हुई पवित्र नदी और भक्तों की आस्था मिलकर एक अद्भुत वातावरण बनाते हैं।
निष्कर्ष:
द्वारका की गोमती नदी सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि श्रद्धा, आस्था और आत्मिक शांति का प्रतीक है। इस गर्मी में हजारों लोग न सिर्फ शरीर की गर्मी से राहत पाने आए, बल्कि उन्होंने पवित्र स्नान कर आत्मा को भी शुद्ध किया। जब लोग यहाँ से वापस लौटे, तो उनके चेहरों पर मुस्कान, मन में शांति और यादों में गोमती घाट की ठंडक समाई हुई थी।
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