सोमनाथ मंदिर का इतिहास – बार-बार टूटा, फिर भी अडिग रहा!

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में अरब सागर के किनारे स्थित सोमनाथ मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारत का एक अद्भुत धरोहर है। यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में पहला माना जाता है और इसे "संवेदनाओं का प्रतीक" भी कहा जाता है क्योंकि यह मंदिर अनेकों बार नष्ट हुआ, फिर भी हर बार नई ऊर्जा से पुनर्निर्मित हुआ। पौराणिक कथा सोमनाथ नाम की उत्पत्ति "सोम" (चंद्र देवता) और "नाथ" (स्वामी) से हुई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रदेव को अपने ससुर दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या करनी पड़ी थी। उन्होंने गुजरात के प्रभास क्षेत्र में स्थित स्थान पर घोर तप किया, जिससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें श्राप से मुक्त किया। कृतज्ञता स्वरूप चंद्रदेव ने यहां सोने का शिवलिंग स्थापित किया और भगवान शिव को "सोमनाथ" नाम से प्रतिष्ठित किया। यह स्थल तब से लेकर आज तक शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। मंदिर के निर्माण और पुनर्निर्माण की गाथा सोमनाथ मंदिर को प्राचीन काल से कई बार बनाया गया और फ...