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जन्माष्टमी पर द्वारका नगरी का उत्सव 2025

  द्वारका नगरी भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र तीर्थों में से एक है। यह वही स्थान है जिसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी राजधानी बनाया था। हर वर्ष जब भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग होता है, तब पूरी दुनिया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन द्वारका में इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि यहां का हर कोना कृष्णमय हो उठता है। जन्माष्टमी का उत्सव द्वारका नगरी में केवल एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि यह भक्ति, आस्था, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक रंगों का अद्भुत संगम है। आइए जानते हैं कि द्वारका नगरी जन्माष्टमी पर कैसे सजती-संवरती है और भक्तों को क्या अनुभव कराती है। 1.जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण दिवस के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने द्वापर युग में राक्षसों से पृथ्वी का भार घटाने के लिए श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया। द्वारका नगरी को "कृष्ण की राजधानी" कहा जाता है। यही कारण है कि यहां जन्माष्टमी का पर्व अद्वितीय और दिव्य अनुभव कराता है। भक्त मानत...

"द्वारका: गर्मी में गोमती घाट बना श्रद्धा और राहत का संगम"

भीषण गर्मी में ठंडी राहत: पवित्र गोमती नदी में डुबकी लगाकर द्वारका लौटे श्रद्धालुओं ने पाया सुकून, घाट पर उमड़ा जनसैलाब द्वारका गोमती घाट पर गर्मी में राहत लेते लोग  गर्मी का प्रकोप इन दिनों पूरे गुजरात में तेज़ी से बढ़ रहा है। तापमान 45 डिग्री के करीब पहुँच चुका है और आम जनजीवन प्रभावित हो चुका है। ऐसे समय में अगर कहीं से ठंडी राहत की अनुभूति हो रही है तो वह है द्वारका का गोमती घाट। मंगलवार को सुबह से ही पवित्र गोमती नदी के घाट पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली – सभी लोग गर्मी से राहत पाने और इस पावन स्थान में स्नान करने पहुँचे। गोमती नदी – केवल नदी नहीं, श्रद्धा की प्रतीक: गोमती नदी को द्वारका में देवी स्वरूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि गोमती में स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है। यही वजह है कि यहाँ पर न केवल स्थानीय लोग बल्कि देशभर से आए श्रद्धालु भी डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं। गर्मी में मिली ठंडी राहत: गोमती घाट पर सुबह से ही माहौल उत्सव जैसा बन गया था। बच्चे पानी में मस्ती कर रहे थे, महिलाएं आपस में बातों में मग्न थीं और पुरुष पानी में तैरते...
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