भारत के पश्चिमी तट पर स्थित द्वारका केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, पुराणों और श्रीकृष्ण की लीलाओं का जीवंत प्रमाण है। यह पावन भूमि चार धामों में से एक मानी जाती है और श्रीकृष्ण की कर्मभूमि रही है। इस लेख में हम जानेंगे द्वारकाधीश मंदिर, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, बेट द्वारका, गोपी तालाब और रुक्मिणी मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व। द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास द्वारकाधीश मंदिर, जिसे जगत मंदिर भी कहा जाता है, भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर करीब 2500 साल पुराना माना जाता है और इसका उल्लेख स्कंद पुराण, विष्णु पुराण, भागवत पुराण आदि ग्रंथों में भी मिलता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मूल रूप से भगवान कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने करवाया था। मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में बनी है और इसकी ऊंचाई लगभग 78 मीटर है। शिखर पर 52 गज लंबा ध्वज फहराया जाता है, जिसे दिन में कई बार बदला जाता है। मंदिर पांच मंजिला है और इसमें 72 स्तंभ हैं। द्वारकाधीश मंदिर न केवल एक श्रद्धा का केंद्र है बल्कि वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण भी है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास नागेश्वर महादेव मंदि...
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