Showing posts with label Gujarat Temple. Show all posts
Showing posts with label Gujarat Temple. Show all posts

Friday, May 16, 2025

द्वारकाधीश मंदिर में रोज़ 5 बार क्यों फहराया जाता है झंडा? जानिए इसके पीछे की चमत्कारी मान्यताएं

 "द्वारकाधीश मंदिर में रोज़ झंडा चढ़ाने की परंपरा और चमत्कारिक घटनाएं"


द्वारकाधीश मंदिर में रोज़ 5 बार झंडा क्यों फहराया जाता है?

भारत के चार प्रमुख धामों में शामिल द्वारकाधीश मंदिर ना सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण की दिव्यता का प्रतीक है, बल्कि यहां की विशेष परंपराएं इसे अद्भुत बनाती हैं। सबसे अनोखी परंपरा है — रोज़ाना 5 बार ध्वज चढ़ाया जाना

ध्वज फहराने का धार्मिक महत्व

ऐसा माना जाता है कि द्वारकाधीश मंदिर में श्रीकृष्ण आज भी सशरीर विराजमान हैं। हर झंडा भगवान को समर्पित होता है और इसे भक्त स्वयं मंदिर की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाकर अर्पित करते हैं।

ध्वज चढ़ाने के समय

हर दिन पांच बार अलग-अलग समय पर झंडा चढ़ाया जाता है:

  • सुबह 8:00 बजे
  • 10:30 बजे
  • दोपहर 12:00 बजे
  • शाम 5:00 बजे
  • रात 7:00 बजे

बुकिंग प्रक्रिया और प्रतीक्षा अवधि

इस सेवा की लोकप्रियता इतनी है कि आज की तारीख में लगभग 1.5 साल तक की प्रतीक्षा चल रही है। हर दिन की बुकिंग 505 गणना वाले ब्राह्मण द्वारा की जाती है। खासतौर पर शनिवार और रविवार की बुकिंग कलेक्टर के निर्णय से होती है

चमत्कारी घटनाएं जो आज भी चर्चा में हैं

एक बार द्वारका में भयंकर तूफान और बिजली गिरने

एक और घटना के अनुसार, जब पाकिस्तान द्वारा मंदिर पर मिसाइल/गोलाबारी की गई थी, तो गोला मंदिर पर न गिरकर करीब 7 किलोमीटर दूर एक दरगाह पर गिरा और वहीं विस्फोट हुआ। इसे आज भी भगवान की चमत्कारी रक्षा मानी जाती है।

ध्वज की पवित्रता और संरचना

यह झंडा लगभग 52 गज लंबा होता है, जो श्रीकृष्ण के 52 वीर यदुवंशी भाईयों को समर्पित होता है। हर झंडे में धार्मिक चिन्ह होते हैं, और इसे चढ़ाना अत्यंत पुण्य का कार्य माना जाता है।

आप भी कर सकते हैं झंडा सेवा

अगर आप भी इस पुण्य अवसर का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो मंदिर ट्रस्ट से संपर्क कर बुकिंग करवा सकते हैं। यह सेवा आपके जीवन की एक अनमोल अनुभूति बन सकती है।

द्वारकाधीश की महिमा और उनका संरक्षण आज भी चमत्कारी रूप में प्रकट होता है।

जय श्री द्वारकाधीश!

द्वारकाधीश मंदिर लाइव दर्शन (Official YouTube Channel)

आप यहां से सीधा लाइव दर्शन देख सकते हैं:

▶ @ShreeDwarkadhishJagadMandir8285 पर लाइव दर्शन देखें

मंगल आरती दर्शन चैनल (Dwarka Tours & Travels)

मंगल आरती का वीडियो और लाइव अपडेट के लिए हमारे चैनल पर जाएं:

▶ @DwarkaToursAndTravls YouTube Channel

Thursday, May 15, 2025

द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास – श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका की कहानी

 "भारत का एकमात्र मंदिर जहाँ भगवान स्वयं राजा थे – जानिए द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास

द्वारकाधीश मंदिर गुजरात

"जहाँ श्रीकृष्ण ने बसाई अपनी नगरी – द्वारकाधीश मंदिर का अद्भुत इतिहास"

प्रस्तावना
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित द्वारका नगरी, हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। इसे भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि और निवास स्थल माना जाता है। द्वारकाधीश मंदिर, जिसे ‘जगतरनाथ मंदिर’ भी कहा जाता है, श्रीकृष्ण को समर्पित एक भव्य और ऐतिहासिक मंदिर है।

द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि द्वारका की स्थापना स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने की थी। जब कंस का वध करने के बाद मथुरा पर बार-बार आक्रमण होने लगे, तब श्रीकृष्ण ने यादव वंश के लोगों को एक सुरक्षित स्थान पर बसाने के लिए सौराष्ट्र के समुद्र तट पर द्वारका नगरी की स्थापना की।

द्वारकाधीश मंदिर का मूल निर्माण लगभग 2500 वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने कराया था। हालांकि, समय-समय पर इसे पुनर्निर्मित किया गया। वर्तमान मंदिर का स्थापत्य शैली 15वीं से 16वीं सदी के मध्य विकसित हुई मानी जाती है।

मंदिर की वास्तुकला
द्वारकाधीश मंदिर सात मंजिला पत्थर से निर्मित है और इसकी ऊँचाई लगभग 80 मीटर है। मंदिर के ऊपर 84 फुट ऊँचा शिखर है, जिस पर विशाल ध्वज लहराता है। यह ध्वज प्रतिदिन बदला जाता है, और यह श्रीकृष्ण के पंचजन्य शंख, सुदर्शन चक्र, गदा और पद्म जैसे प्रतीकों से सुसज्जित होता है।

मंदिर का मुख्य द्वार ‘मोक्श द्वार’ कहलाता है, जबकि पिछला द्वार ‘स्वर्ग द्वार’ के नाम से जाना जाता है, जहाँ से समुद्र की ओर जाने वाली 56 सीढ़ियाँ हैं।

पौराणिक मान्यता और महत्त्व
श्रीमद्भागवत, महाभारत और स्कंद पुराण जैसे अनेक ग्रंथों में द्वारका का वर्णन है। मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने इस पृथ्वी को त्यागा, तब समुद्र ने द्वारका नगरी को निगल लिया। आज भी समुद्र के गर्भ में प्राचीन द्वारका के अवशेष पाए जाते हैं, जो इसकी ऐतिहासिकता को प्रमाणित करते हैं।

द्वारकाधीश मंदिर और चार धाम यात्रा
द्वारकाधीश मंदिर को हिंदू धर्म के चार धामों में से एक माना जाता है – बद्रीनाथ, रामेश्वरम, पुरी और द्वारका। इसे सप्तपुरियों में भी गिना गया है। यहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

आज का द्वारकाधीश मंदिर
आज द्वारकाधीश मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल बन चुका है। यहां द्वारका दर्शन, गोमती घाट स्नान, रुक्मिणी देवी मंदिर, और समुद्र किनारे के दृश्य एक अलौकिक अनुभव प्रदान करते हैं।

समापन
द्वारकाधीश मंदिर केवल एक मंदिर नहीं, अपितु एक जीवंत इतिहास है – जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, उनके राज्य और उनके संदेशों की अनुगूंज सुनाई देती है। यदि आप भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को अनुभव करना चाहते हैं, तो द्वारकाधीश मंदिर अवश्य जाएं।

द्वारकाधीश मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है। यह मंदिर हमें श्रीकृष्ण के जीवन के उस अध्याय से जोड़ता है जहाँ उन्होंने एक आदर्श राज्य की स्थापना की थी। यदि आप कभी गुजरात जाएं, तो द्वारका दर्शन को अपनी यात्रा में जरूर शामिल करें – यह अनुभव आपके जीवन भर के लिए यादगार बन जाएगा।


आपका क्या अनुभव रहा द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन में? नीचे कमेंट कर हमें जरूर बताएं और इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें

Search This Blog

Blog Archive

Labels

Top Posts

🚌 ₹2800 में Dwarka-Somnath Yatra कैसे करें? Ahmedabad/Vadodara/Surat से Budget Travel Plan (2025)

 क्या आप 2025 में कम बजट में गुजरात के प्रमुख तीर्थ स्थलों – Dwarka और Somnath – की यात्रा करना चाहते हैं? तो ये प्लान सिर्फ आपके लिए है! Ah...

Call Now WhatsApp