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द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास – श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका की कहानी

 "भारत का एकमात्र मंदिर जहाँ भगवान स्वयं राजा थे – जानिए द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास

द्वारकाधीश मंदिर गुजरात

"जहाँ श्रीकृष्ण ने बसाई अपनी नगरी – द्वारकाधीश मंदिर का अद्भुत इतिहास"

प्रस्तावना
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित द्वारका नगरी, हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। इसे भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि और निवास स्थल माना जाता है। द्वारकाधीश मंदिर, जिसे ‘जगतरनाथ मंदिर’ भी कहा जाता है, श्रीकृष्ण को समर्पित एक भव्य और ऐतिहासिक मंदिर है।

द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि द्वारका की स्थापना स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने की थी। जब कंस का वध करने के बाद मथुरा पर बार-बार आक्रमण होने लगे, तब श्रीकृष्ण ने यादव वंश के लोगों को एक सुरक्षित स्थान पर बसाने के लिए सौराष्ट्र के समुद्र तट पर द्वारका नगरी की स्थापना की।

द्वारकाधीश मंदिर का मूल निर्माण लगभग 2500 वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने कराया था। हालांकि, समय-समय पर इसे पुनर्निर्मित किया गया। वर्तमान मंदिर का स्थापत्य शैली 15वीं से 16वीं सदी के मध्य विकसित हुई मानी जाती है।

मंदिर की वास्तुकला
द्वारकाधीश मंदिर सात मंजिला पत्थर से निर्मित है और इसकी ऊँचाई लगभग 80 मीटर है। मंदिर के ऊपर 84 फुट ऊँचा शिखर है, जिस पर विशाल ध्वज लहराता है। यह ध्वज प्रतिदिन बदला जाता है, और यह श्रीकृष्ण के पंचजन्य शंख, सुदर्शन चक्र, गदा और पद्म जैसे प्रतीकों से सुसज्जित होता है।

मंदिर का मुख्य द्वार ‘मोक्श द्वार’ कहलाता है, जबकि पिछला द्वार ‘स्वर्ग द्वार’ के नाम से जाना जाता है, जहाँ से समुद्र की ओर जाने वाली 56 सीढ़ियाँ हैं।

पौराणिक मान्यता और महत्त्व
श्रीमद्भागवत, महाभारत और स्कंद पुराण जैसे अनेक ग्रंथों में द्वारका का वर्णन है। मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने इस पृथ्वी को त्यागा, तब समुद्र ने द्वारका नगरी को निगल लिया। आज भी समुद्र के गर्भ में प्राचीन द्वारका के अवशेष पाए जाते हैं, जो इसकी ऐतिहासिकता को प्रमाणित करते हैं।

द्वारकाधीश मंदिर और चार धाम यात्रा
द्वारकाधीश मंदिर को हिंदू धर्म के चार धामों में से एक माना जाता है – बद्रीनाथ, रामेश्वरम, पुरी और द्वारका। इसे सप्तपुरियों में भी गिना गया है। यहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

आज का द्वारकाधीश मंदिर
आज द्वारकाधीश मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल बन चुका है। यहां द्वारका दर्शन, गोमती घाट स्नान, रुक्मिणी देवी मंदिर, और समुद्र किनारे के दृश्य एक अलौकिक अनुभव प्रदान करते हैं।

समापन
द्वारकाधीश मंदिर केवल एक मंदिर नहीं, अपितु एक जीवंत इतिहास है – जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, उनके राज्य और उनके संदेशों की अनुगूंज सुनाई देती है। यदि आप भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को अनुभव करना चाहते हैं, तो द्वारकाधीश मंदिर अवश्य जाएं।

द्वारकाधीश मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है। यह मंदिर हमें श्रीकृष्ण के जीवन के उस अध्याय से जोड़ता है जहाँ उन्होंने एक आदर्श राज्य की स्थापना की थी। यदि आप कभी गुजरात जाएं, तो द्वारका दर्शन को अपनी यात्रा में जरूर शामिल करें – यह अनुभव आपके जीवन भर के लिए यादगार बन जाएगा।


आपका क्या अनुभव रहा द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन में? नीचे कमेंट कर हमें जरूर बताएं और इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें

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