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Thursday, June 19, 2025

"द्वारका में इन 5 स्थलों के बिना दर्शन अधूरी है आपकी यात्रा"

द्वारकाधीश मंदिर – श्रीकृष्ण की नगरी का मुख्य मंदिरभारत के पश्चिमी तट पर स्थित द्वारका केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, पुराणों और श्रीकृष्ण की लीलाओं का जीवंत प्रमाण है। यह पावन भूमि चार धामों में से एक मानी जाती है और श्रीकृष्ण की कर्मभूमि रही है। इस लेख में हम जानेंगे द्वारकाधीश मंदिर, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, बेट द्वारका, गोपी तालाब और रुक्मिणी मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व।

द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास


द्वारकाधीश मंदिर, जिसे जगत मंदिर भी कहा जाता है, भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर करीब 2500 साल पुराना माना जाता है और इसका उल्लेख स्कंद पुराण, विष्णु पुराण, भागवत पुराण आदि ग्रंथों में भी मिलता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मूल रूप से भगवान कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने करवाया था।

मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में बनी है और इसकी ऊंचाई लगभग 78 मीटर है। शिखर पर 52 गज लंबा ध्वज फहराया जाता है, जिसे दिन में कई बार बदला जाता है। मंदिर पांच मंजिला है और इसमें 72 स्तंभ हैं। द्वारकाधीश मंदिर न केवल एक श्रद्धा का केंद्र है बल्कि वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण भी है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – द्वारका के पास शिव का पवित्र मंदिर

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास


नागेश्वर महादेव मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर द्वारका और बेट द्वारका के बीच समुद्र के किनारे स्थित है। पुराणों के अनुसार, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना एक भयंकर राक्षस 'दारुक' के आतंक से मुक्ति के लिए हुई थी। भगवान शिव ने यहां पर प्रकट होकर दारुक का वध किया और भक्तों को आशीर्वाद दिया।

यहां शिवलिंग स्वयंभू (स्वतः प्रकट) माना जाता है और इसकी विशेषता है कि यह सदा दक्षिणमुखी है। मंदिर परिसर में एक विशाल शिव प्रतिमा भी है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

बेट द्वारका – समुद्र में स्थित श्रीकृष्ण का ऐतिहासिक निवास


बेट द्वारका का इतिहास


बेट द्वारका एक द्वीप है जो समुद्र में स्थित है और श्रीकृष्ण का निवास स्थान माना जाता है। यहां का उल्लेख महाभारत और स्कंद पुराण में भी मिलता है। ऐसा माना जाता है कि यही वह स्थान है जहां श्रीकृष्ण अपने परिवार और रानियों के साथ रहते थे।

बेट द्वारका में स्थित श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण वैष्णव संप्रदाय के श्रीवल्लभाचार्य जी द्वारा किया गया था। यहां श्रीकृष्ण की मूर्ति को शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण करते हुए देखा जा सकता है। यह स्थान अपनी पवित्रता, सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के कारण भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय है।

गोपी तालाब – गोपियों और श्रीकृष्ण की रासलीला स्थली

गोपी तालाब का इतिहास


गोपी तालाब, द्वारका से करीब 20 किमी की दूरी पर स्थित है। यह वह स्थान है जहाँ मथुरा की गोपियां श्रीकृष्ण से मिलने आई थीं। किंवदंतियों के अनुसार, श्रीकृष्ण ने उन्हें रासलीला का आनंद दिया और अंत में वे सभी आत्मा रूप में श्रीकृष्ण में विलीन हो गईं।

यहां की मिट्टी को 'गोपिचंदन' कहा जाता है, जिसे श्रद्धालु विशेष पूजा सामग्री के रूप में इस्तेमाल करते हैं। गोपी तालाब का पानी अब भी अत्यंत शांत और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा प्रतीत होता है। हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां आकर स्नान करते हैं और पुण्य प्राप्त करते हैं।

Rukmini Temple: रुक्मिणी मंदिर – श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी जी को समर्पित मंदिर

रुक्मिणी मंदिर का इतिहास


रुक्मिणी मंदिर, द्वारका से लगभग 2 किमी दूर स्थित है और यह भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी देवी को समर्पित है। यह मंदिर 12वीं शताब्दी में बना हुआ बताया जाता है। मंदिर की वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है और इसमें पत्थरों पर की गई नक्काशी अद्भुत है।

पुराणों में वर्णन है कि एक बार रुक्मिणी जी ने बिना पूछे संत दुर्वासा को भोजन कराया, जिससे वे रुष्ट हो गए और रुक्मिणी को द्वारका से दूर रहने का श्राप दे दिया। तभी से उनका मंदिर द्वारकाधीश मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित है। श्रद्धालु यहां जल अर्पण करके दांपत्य सुख की कामना करते हैं।

निष्कर्ष

द्वारका एक ऐसा तीर्थ है जहाँ धर्म, इतिहास और आस्था एक साथ मिलते हैं। द्वारकाधीश मंदिर भगवान श्रीकृष्ण की दिव्यता का प्रतीक है, नागेश्वर महादेव शिव भक्ति का आधार है, बेट द्वारका श्रीकृष्ण के घर की अनुभूति कराता है, गोपी तालाब प्रेम की पराकाष्ठा दिखाता है और रुक्मिणी मंदिर पतिव्रता नारी की श्रद्धा को समर्पित है।
अगर आप गुजरात यात्रा की योजना बना रहे हैं तो इन पांच स्थलों को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि भारतीय संस्कृति और पुरातन धरोहर का प्रमाण भी हैं।

द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन के बाद ही आपकी द्वारका यात्रा की शुभ शुरुआत मानी जाती है। इसके बाद जब आप नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गोपी तालाब, बेट द्वारका, और रुक्मिणी मंदिर के दर्शन करते हैं, तब जाकर आपकी यात्रा को पूर्ण और सफल माना जाता है।

द्वारका दर्शन के लिए आपको द्वारका में एक दिन लगेगा जिसमें मॉर्निंग से 8 से इवनिंग को 5:00 तक सब दर्शन हो जाएंगे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गोपी तालाब बेट द्वारका रुक्मणी देवी टेंपल शिवराजपुर बीच 
गाड़ियों के चार्ज कुछ इस प्रकार से 
स्विफ्ट दजीरे इटीयोस फुल डी 2500 रुपए
अर्टिगा कर फूल दे 3200 रुपए
इनोवा क्रिस्ट फुल डे 4000 रुपए 
 टेंपो ट्रैवलर फुल डे 5500 रुपए


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🌐 वेबसाइट: www.dwarkatour.com


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