द्वारका नगरी भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र तीर्थों में से एक है। यह वही स्थान है जिसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी राजधानी बनाया था। हर वर्ष जब भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग होता है, तब पूरी दुनिया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन द्वारका में इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि यहां का हर कोना कृष्णमय हो उठता है। जन्माष्टमी का उत्सव द्वारका नगरी में केवल एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि यह भक्ति, आस्था, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक रंगों का अद्भुत संगम है। आइए जानते हैं कि द्वारका नगरी जन्माष्टमी पर कैसे सजती-संवरती है और भक्तों को क्या अनुभव कराती है। 1.जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण दिवस के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने द्वापर युग में राक्षसों से पृथ्वी का भार घटाने के लिए श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया। द्वारका नगरी को "कृष्ण की राजधानी" कहा जाता है। यही कारण है कि यहां जन्माष्टमी का पर्व अद्वितीय और दिव्य अनुभव कराता है। भक्त मानत...
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