तिथि: 6 अक्टूबर 2025 | स्रोत: द्वारका टुडे डिजिटल मीडिया
गुजरात के धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर द्वारका में एक बार फिर चर्चाओं का विषय बन गया है — शिवराजपुर बीच पर वॉटर स्पोर्ट्स की अनुमति को लेकर उठे सवाल।
बीच पूरी तरह तैयार है, डाइविंग सेटअप और ट्रेनिंग टीम मौजूद है, लेकिन ऑपरेटर्स और यात्रियों को प्रशासनिक अनुमति का इंतज़ार है।
द्वारका का समुद्री सौंदर्य और पर्यटन की बढ़ती मांग
द्वारका सिर्फ एक धार्मिक तीर्थस्थल ही नहीं, बल्कि समुद्री सौंदर्य, शांति और रोमांच का संगम भी है।
यहाँ का शिवराजपुर बीच भारत के सबसे सुंदर ब्लू-फ्लैग प्रमाणित बीचों में से एक है — जहाँ साफ पानी, स्वच्छ रेत और शांत लहरें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
हर साल दीपावली, छठ और सर्दियों के सीज़न में देशभर से हज़ारों सैलानी द्वारका आते हैं।
इनमें से बड़ी संख्या में लोग सिर्फ दर्शन के लिए नहीं, बल्कि एडवेंचर और वॉटर एक्टिविटीज़ का भी आनंद लेना चाहते हैं।
लेकिन इस बार शिवराजपुर में स्कूबा डाइविंग, स्नॉर्कलिंग और अन्य वॉटर स्पोर्ट्स पर प्रशासनिक रोक ने यात्रियों और स्थानीय कारोबारियों दोनों को परेशान कर दिया है।
बीच तैयार, लेकिन प्रशासन की अनुमति लंबित
स्थानीय डाइविंग ऑपरेटर्स के अनुसार, बीच पर सारी तैयारी पूरी है —
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डाइविंग उपकरण
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सेफ्टी बोट्स
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प्रशिक्षित इंस्ट्रक्टर्स
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आपातकालीन मेडिकल सुविधाएँ
सभी कुछ तैयार है, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन से वॉटर स्पोर्ट्स की औपचारिक मंजूरी नहीं मिली।
इस वजह से दीपावली सीजन में आने वाले यात्रियों को निराश होना पड़ रहा है।
कई लोगों ने अग्रिम बुकिंग कर ली थी, लेकिन "परमिशन न मिलने" के कारण उन्हें अपना शेड्यूल बदलना पड़ा।
पर्यटक और ऑपरेटर्स दोनों हुए निराश
शिवराजपुर बीच पर आने वाले यात्रियों का कहना है कि वे द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन के बाद समुद्री डाइविंग का अनुभव लेना चाहते थे,
लेकिन मौके पर जाकर पता चला कि वॉटर स्पोर्ट्स फिलहाल बंद हैं।
एक स्थानीय ऑपरेटर ने बताया –
“हमने प्रशासन से कई बार संपर्क किया, लेकिन कहा गया कि फाइल प्रक्रिया में है।
इस वजह से हमें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, जबकि बीच पूरी तरह संचालन के लिए तैयार है।”
स्थानीय अर्थव्यवस्था को झटका
वॉटर स्पोर्ट्स सिर्फ रोमांच ही नहीं, बल्कि रोज़गार और पर्यटन का बड़ा स्रोत भी हैं।
स्थानीय युवाओं को गाइड, इंस्ट्रक्टर, बोट ऑपरेटर और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में काम मिलता है।
शिवराजपुर, ओखा और बेट द्वारका जैसे इलाकों में हर साल हजारों लोगों को मौसमी रोजगार मिलता था,
लेकिन अब अनुमति में देरी से स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।
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होटल और होमस्टे बुकिंग में कमी
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टूर पैकेज रद्द होने लगे
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पर्यटक दूसरे बीच जैसे दीव या गोवा की ओर रुख करने लगे
एक ऑपरेटर ने कहा –
“जब सब तैयार है, तो सिर्फ परमिशन न मिलने से इतने लोगों का रोजगार बंद हो जाना गलत है।”
डाइविंग स्पॉट की खासियत – समुद्र के नीचे का अद्भुत संसार
शिवराजपुर का डाइविंग ज़ोन गुजरात का सबसे सुरक्षित और सुंदर अंडरवाटर क्षेत्र माना जाता है।
यहाँ 10 से 25 फीट गहराई में रंग-बिरंगी मछलियाँ, कोरल रीफ और दुर्लभ समुद्री जीव देखे जा सकते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में यहाँ की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि
स्कूबा डाइविंग को “द्वारका डाइविंग” ब्रांड के रूप में प्रमोट किया गया।
यह न सिर्फ गुजरात, बल्कि पूरे भारत का स्पिरिचुअल + एडवेंचर टूरिज्म मॉडल बन सकता था।
लेकिन अब इस देरी से यह पहल ठंडी पड़ती दिख रही है।
प्रशासनिक पक्ष – सुरक्षा और लाइसेंसिंग का मामला
द्वारका जिला प्रशासन के अनुसार,
“वॉटर स्पोर्ट्स के संचालन से पहले सुरक्षा, लाइसेंसिंग और पर्यावरण अनुमति जैसे कई पहलुओं को जांचना ज़रूरी है।”
यह कहा गया है कि सभी ऑपरेटर्स को पुन: आवेदन करना होगा,
ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सेफ्टी स्टैंडर्ड्स पूरी तरह लागू हैं।
हालांकि, ऑपरेटर्स का तर्क है कि
“पहले ही हमको कोस्ट गार्ड और टूरिज्म डिपार्टमेंट से अप्रूवल मिल चुका है,
फिर भी परमिशन रोकना अनुचित है।”
स्थानीय जनता की आवाज़ – “जल्दी निर्णय लें”
द्वारका और आसपास के व्यापारियों का कहना है कि
अगर दीपावली सीजन में वॉटर स्पोर्ट्स शुरू नहीं हुए,
तो इस बार का टूरिज्म सीजन कमजोर रहेगा।
दुकानदारों, होटल मालिकों और ड्राइवर्स ने संयुक्त रूप से प्रशासन से अपील की है कि
“बीच जब तैयार है, तो परमिशन में देरी क्यों?
शिवराजपुर डाइविंग को जल्दी चालू किया जाए ताकि यात्रियों और स्थानीय लोगों दोनों को लाभ मिले।”
धार्मिक पर्यटन से एडवेंचर टूरिज्म की ओर कदम
द्वारका पारंपरिक रूप से भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के रूप में जानी जाती है,
लेकिन हाल के वर्षों में यहाँ एडवेंचर टूरिज्म का नया चेहरा उभर रहा है।
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स्कूबा डाइविंग
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जेट स्की
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पैरासेलिंग
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बोट राइड्स
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समुद्री जीवों का दर्शन
इन सब गतिविधियों से द्वारका की पहचान सिर्फ “धार्मिक नगर” से बढ़कर “स्पिरिचुअल बीच डेस्टिनेशन” के रूप में हो रही थी।
अगर यह परियोजना समय पर चालू होती, तो द्वारका गुजरात का अगला गोवा या दीव बन सकता था।
समाधान क्या हो सकता है?
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स्थानीय प्रशासन और टूरिज्म विभाग में समन्वय बढ़ाना
ताकि बिना देरी के अनुमति प्रक्रिया पूरी हो सके। -
सुरक्षा मानकों की एक संयुक्त गाइडलाइन बनाना
जिससे ऑपरेटर्स को स्पष्ट निर्देश मिल सकें। -
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ गतिविधियाँ शुरू करना
ताकि सीजन खराब न हो और टेस्टिंग भी जारी रहे। -
स्थानीय युवाओं को शामिल करना और ट्रेनिंग देना
ताकि रोजगार और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हों।
निष्कर्ष – विकास रुके नहीं, प्रक्रिया तेज़ हो
द्वारका की पहचान सिर्फ तीर्थ नहीं, बल्कि समुद्री संस्कृति और आधुनिक पर्यटन के संगम के रूप में बन सकती है।
परमिशन में देरी से न केवल यात्रियों की उम्मीदें टूटती हैं,
बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ा झटका लगता है।
अगर प्रशासन तेजी से निर्णय लेकर वॉटर स्पोर्ट्स को हरी झंडी दे देता है,
तो यह न सिर्फ रोजगार बढ़ाएगा, बल्कि “विजिट द्वारका” ब्रांड को एक नया आयाम देगा।
द्वारका के लिए यह समय है –
“समुद्र की लहरों के साथ विकास की लहर भी उठे।”
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