भारत में जीएसटी (Goods and Services Tax) लागू हुए आठ साल हो चुके हैं। जब 2017 में जीएसटी आया था, तब इसका उद्देश्य था टैक्स सिस्टम को सरल बनाना और पूरे देश में एक समान टैक्स व्यवस्था लागू करना। शुरुआत में इसमें कई जटिलताएँ थीं – चार अलग-अलग स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%), सेस और एक्साइज ड्यूटी जैसी चीज़ों की वजह से उपभोक्ताओं और व्यापारियों को समझने में मुश्किलें आती थीं। अब 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने सबसे बड़े जीएसटी सुधार की घोषणा की है। इसे एक तरह से “जीएसटी 2.0” कहा जा रहा है, क्योंकि अब टैक्स स्ट्रक्चर पहले से कहीं ज़्यादा आसान और उपभोक्ता-हितैषी हो गया है। नया जीएसटी ढांचा: चार से दो स्लैब सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब तक के चार स्लैब को घटाकर सिर्फ दो स्लैब रखे गए हैं। पहले: 5%, 12%, 18%, 28% अब: 5% और 18% इसके अलावा, लक्ज़री और “सिन गुड्स” (तंबाकू, शराब, महँगी गाड़ियाँ) के लिए एक अलग उच्च दर यानी 40% टैक्स लागू किया जाएगा। ➡ इसका मतलब है कि रोज़मर्रा की ज़रूरतों की चीज़ों और ज़रूरी सामान पर टैक्स कम रहेगा, जबकि गैर-ज़रूरी और लक्ज़री आइटम्स पर ...
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